ज्वालामुखी क्रिया द्वारा निर्मित स्थलाकृतियां

ज्वालामुखी निर्मित आन्तरिक व बाह्य स्थलाकृतियां

(A) आभ्यंतरिक स्थलाकृतियाँ (ग्रेनाइट चट्टानें)

(क) आन्तरिक लावा

(ख) बैथोलिथ

(ग) लैकोलिथ

(घ) फैकोलिथ

(ड) लोपोलिथ

(च) सिल

(छ) डाइक

(ज) स्टॉक

(B) बाह्य स्थलाकृतियाँ(बैसाल्ट चट्टानें)

(क) विभिन्न प्रकार के शंकु

(ख) क्रेटर व काल्डेरा

(ग) लावा पठार या ट्रेप

(ड) लावा मैदान

(च) धुआँरे तथा गेसर



आभ्यंतरिक स्थलाकृतियाँ 

(i) बैथोलिथ : किसी भी प्रकार के चट्टानों में ग्रेनाइट के गुंबदाकार निक्षेप को बैथोलिथ कहते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ ज्वालामुखी उद्गार होते हैं, यह संरचना पाई जाती है।

(ii) लैकोलिथ : यह भी गुंबदनुमा होता है जो सिपर्फ अवसादी चट्टानों में मैग्मा के जमाव से बनता है। इसकी ढाल उत्तल होती है।

(iii) फैकोलिथ : जब ज्वालामुखी उद्गार से प्राप्त मैग्मा मोड़दार पर्वतों के अपनति तथा अभिनति में जमा हो जाता है तो पफैकोलिथ का निर्माण होता है।

(iv) लोपोलिथ : जब मैग्मा का जमाव धरातल के नीचे अवतल ढालवाली छिछली बेसिन में होता है तब उसे लोपोलिथ कहते हैं।

(v) सिल : जब मैग्मा का जमाव लगभग क्षैतिज रूप में परतदार या रूपान्तरित शैलों की विभिन्न परतों के बीच हो जाता है तो वह सिल कहलाता है। इसकी पतली परत को शीट (Sheet)कहते हैं।

(vi) डाइक : यह सिल के विपरीत लम्बवत एवं पतले रूप में मिलनेवाला मैग्मा का जमाव है।

बाह्य स्थलाकृतियां 

लावा तथा अन्य पदार्थों का निकास एक प्राकृतिक नली द्वारा होता है जिसे ‘ज्वालामुखी नली’ ( Volcanic Pipe) कहते हैं। ज्वालामुखी शंकु के शीर्ष पर प्याले या कीप की आकृति का जो गड्ढा होता है उसे क्रेटर (Crater) कहते हैं। जब क्रेटर में वर्षा-जल भर जाता है तो वह क्रेटर झील (Crater Lake) कहलाता है। दक्षिणी अमेरिका की टिटिकाका झील तथा भारत में महाराष्ट्र का लोनार झील इसके सुन्दर उदाहरण हैं। काल्डेरा (Caldera) का निर्माण क्रेटर के धंसाव से या ज्वालामुखी में पुनः विस्फोट से क्रेटर के मुख के बड़ा हो जाने से होता है। विश्व का सबसे बड़ा काल्डेरा ‘आसो’ है, जो जापान में स्थित है। कभी-कभी ज्वालामुखी में पुनः विस्फोट से बड़े क्रेटर में अनेक छोटे-छोटे क्रेटरों का निर्माण हो जाता है जिसे घोसलादार क्रेटर (Nested Crater) कहते हैं।

 गेसर (Gyser) गर्म जल के ऐसे स्रोत हैं जहाँ से समय-समय पर गर्म जल की फुहारें निकलती रहती हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण U.S.A. के येलोस्टोन नेशनल पार्क (Yellow Stone National Park) में ओल्ड फेथपफुल (Old Faithful) तथा एक्सेल्सियर (Exelsiar) गेसर है। आइसलैंड का ग्रांड (Grand) गेसर भी विख्यात है। धुआँरे (Fumaroles) से गैस व जलवाष्प निकला करते हैं। अलास्का (U.S.A.) के कटमई पर्वत को ‘हजारों धुआँरों की घाटी’ (A valley of ten thousand smokes)कहा जाता है। ईरान का कोह सुल्तान धुआँरा तथा न्यूजीलैंड की प्लेन्टी खाड़ी में स्थित ह्नाइट द्वीप का धुआँरा भी प्रसिद्ध है।

ज्वालामुखी के दरारी उदभेदन से बैसाल्टिक भाग शान्त रूप से प्रवाहित होकर धरातल के ऊपर मोटी परत के रूप में जमा हो जाता है। इन परतों को लावा पठार या ट्रैप (Trapp) कहते हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण भारत का ‘दक्कन ट्रैप’ है।

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