वेगनर की परिकल्पना (Continental Drift)

 वेगनर की परिकल्पना (Continental Drift)

  • फ्रांसीस बैकुन ने अपनी समुद्री यात्रा के वर्णन में 1620 ई. में सर्वप्रथम अटलाण्टिक के दोनों तटों के समानान्तरता को दर्शाया। 1668 में P.Plaset नामक व्यक्ति ने अफ्रीका, यूरोप के महाद्वीपीय भाग को अमेरिका के महाद्वीपीय भाग में समायोजित होता पाया। पुनः 1818 में एन्टोनियो पेलीग्रीनी ने सर्वप्रथम विश्व के मानचित्र में यह दर्शाया कि अमेरिका एवं अफ्रो-यूरोप वस्तुतः एक ही महाद्वीप के दो टुकड़े हैं जो कालान्तर में विस्थापित हुए हैं।
  • 1910 में टेलर महोदय ने ‘‘एक महाद्वीपीय विस्थापन परिकल्पना” को जन्म दिया एवं विश्व के सभी महाद्वीपों को वस्तुतः एक ही विशाल महाद्वीप का विखण्डित रूप माना।
  • परन्तु महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त के जनक के रूप में जर्मनी के जलवायु वैज्ञानिक ‘‘अल्फ्रेड वेगनर” को माना जाता है। क्योंकि इन्होंने सम्पूर्ण महाद्वीपों के प्रारम्भिक अवस्था से लेकर वर्तमान परिदृश्य तक एक सिद्धान्त के रूप में विशद व्याख्या की है तथा अनेकों सुदृढ़ साक्ष्य उपलबध करवाए। इन्होंने अपनी पुस्तक “The Continnent & the Ocean” में इस सिद्धान्त को 1912 में लिखा जो कि 1915 में कठिन जर्मनी भाषा में प्रकाशित हुआ। 1924 में इस सिद्धान्त का अंग्रेजी रूपान्तरण हुआ जिसने एक नये विवाद को पृथ्वी विज्ञान में नये विवाद को जन्म दे दिया क्योंकि पूर्व के सिद्धान्त एवं परिकल्पनाएं महाद्वीपों एवं महासागरों को स्थैतिक मानते रहे।

(i) संपूर्ण महाद्वीप एक अखण्डित, विशाल एवं वृहत महाद्वीप के रूप में 300 मिलियन वर्ष पूर्व कार्बोनिफेरस युग में अस्तित्व रखता था जिसे पेंजिया कहते थे।

(ii) यह पेंजिया दक्षिणी ध्रुव के पास अवस्थित था।

(iii) पेंजिया के चारों तरफ एक महासागर अवस्थित था जिसका नाम पेंथालसा था।

(iv) पेंजिया दो भाग में विभाजित था उत्तरी भाग को अंगारालैण्ड एवं दक्षिणी भाग को गोण्डवानालैण्ड कहा जाता था।

(v) इन दोनों महाद्वीप खण्डों के मध्य विभाजक रेखा के रूप में ‘टेथिस सागर’अवस्थित था।


वेगनर द्वारा प्रस्तुत किये गये साक्ष्य

1 .Jig Sam Fit / Juxtoposition /साम्यस्थापन-वेगनर ने अंटलाण्टिक के पूर्व एवं पश्चिमी तट में मानचित्र द्वारा अद्भूत समानांतरता को दर्शाया एवं अफ्रीका, यूरोप को अमेरिका के महाद्वीप में परस्पर जोड़कर एक ही महाद्वीप होने के साक्ष्य को प्रस्तुत किया।

2. चट्टानों की संरचना एवं काल पर आधारित साक्ष्य-ब्राजील के उभार क्षेत्र में 570 मिलियन वर्ष पूर्व की चट्टान व्याप्त है अगर यह अफ्रीका के गिनी की खाड़ी में विलय हुआ है तो वहां भी इसी काल एवं संरचना की चट्टानें पाई जानी चाहिए। वास्तविक में इसे एक सच साक्ष्य पाया गया।

प्लेसर (अवसादी) निक्षेप के रूप में पाये जाने वाले स्वर्ण कण गिनी के तट पर भी बिल्कुल समानांतर अवस्था में पाये गये।

3. जीवाश्म संबंधी साक्ष्य-प्रागैतिहासिक काल में पाए जाने वाले “Ferm“ मुख्य रूप से ‘ग्लोसोपोटेरिस’ के जीवाश्म गौंडवानालैण्ड के सभी भू-खण्डों पर पाए गए।

इसके अतिरिक्त ‘मैसोसौरस’ जैव अवस्थाएँ उनके जीवाश्म भी दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका एवं ऑस्ट्रेलिया पर पाए गए।

इस प्रमाण में वेगनर ने अन्य कई जीवाश्मों के वितरण को दर्शाया है जो यह सिद्ध करता है कि कम से कम गौण्डवानालैण्ड के सभी टुकड़े एक ही महाद्वीप के रूप में थे।

4. पुरा जलवायविक साक्ष्य-वेगनर ने यह दर्शाया कि वर्तमान के कोयला क्षेत्र समशीतोष्ण भाग में करीब 50° अक्षांश के पास अवस्थित है जबकि दूसरी ओर भूमध्य रेखा के पास हिम नदियों द्वारा निक्षेपित अवसादी जमाव के स्तर पाए जाते हैं यह एक विकट प्रश्न था समशीतोष्ण जलवायु क्षेत्र में कोयला उत्पन्न नहीं हो सकता भूमध्य रेखा क्षेत्र पर हिम नदियाँ नहीं पाई जाती। वर्तमान की यह अवस्थिति तभी विश्लेषित हो सकती है जब महाद्वीपों को जोड़कर उन्हें व्रतों के पास खिसका दिया जाए ऐसी स्थिति में वर्तमान का 500अक्षांश, लगभग भू-मध्य रेखा के पास एवं वर्तमान के भूमध्य रेखा क्षेत्र दक्षिणी ध्रुव के आसपास खिसक जाएंगे जिससे यह सिद्ध होता है कि महाद्वीप उत्तर की ओर स्थित हुए हैं।

5. अन्य प्रमाणों में वेगनर ने पर्वत श्रेणियों के विस्तार को आधार बनाया गया, अपलेशिया पर्वत, अमेरिका के उत्तर पूर्वी तट से अचानक विलुप्त होकर स्कैण्डोनेवियन पर्वत के रूप में नार्वे में पाया जाता है जो कि महाद्वीपीय विस्थापन का एक साक्ष्य है।



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