क्रिप्स मिशन (Cripps Mission)

 क्रिप्स मिशन (Cripps Mission)

22 मार्च,1942 को क्रिप्स मिशन भारत आया। यह एक सदस्यीय आयोग था, जो सर स्टेफोर्ड क्रिप्स (Sir Stafford Cripps) के नेतृत्व में ब्रिटिश सरकार द्वारा भेजा गया था। सर स्टेफोर्ड क्रिप्स ब्रिटिश युद्ध मंत्रिमण्डल के सदस्य थे। क्रिप्स मिशन के भारत भेजने का कारण ब्रिटिश जनमत का बढ़ता दबाव, विश्व के अन्य राष्ट्रों का दबाव एवं जापान की विजय प्रमुख था।

सर स्टेफोर्ड क्रिप्स 22 मार्च, 1942 को भारत आए और अपने 20 दिन के भारत निवास के दौरान वे कांग्रेस, मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा, दलित वर्ग, उदारवादी नेताओं तथा देशी नरेशों के प्रतिनिधियों से मिले, इसके बाद उन्होंने भारत के वैधानिक गतिरोध को दूर करने के लिए निम्नलिखित प्रस्ताव प्रस्तुत किए जो क्रिप्स प्रस्ताव के नाम से प्रसिद्ध है

(i) ब्रिटिश सरकार एक ऐसे भारतीय संघ की स्थापना करना चाहती है, जिसकी स्थिति ब्रिटिश सम्राट के अंतर्गत् एक पूर्ण औपनिवेशिक स्वराज की होगी। इसे ब्रिटेन से संबंध विच्छेद करने की भी स्वतंत्रता होगी।

(ii) युद्ध की समाप्ति के तुंत बाद भारत के लिए संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा की स्थापना की जाएगी, जिसमें ब्रिटिश भारतीय प्रांतों  तथा देशी रियासतों दोनों के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे।

(iii) ब्रिटिश सरकार इस संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान को स्वीकार कर लेगी, परंतु शर्त यह है, कि ब्रिटिश सरकार के प्रांतों  या देशी रियासतों को यदि नवीन संविधान पसंद नहीं होगा, तो वे अपनी वर्तमान संवैधानिक स्थिति बनाए रख सकेंगे। ऐसे प्रांतों  को भी अपने लिए एक संविधान बनाने का अधिकार होगा तथा उनकी स्थिति भी भारतीय संघ के समान होगी।

(iv)संविधान सभा और ब्रिटिश सरकार के बीच अन्य संस्थाओं की सुरक्षा हेतु एक संधि की जाएगी।

(v) जब तक नवीन संविधान कार्यांवित न हो, तब तक ब्रिटिश सरकार ही भारत की सुरक्षा के लिए उत्तरदायी होगी।

(vi) क्रिप्स प्रस्ताव के अंत में कहा गया, कि ब्रिटिश सरकार की यह इच्छा है, कि भारतीय जनता के विविध वर्ग़ों के नेता अपने देश, ब्रिटिश राष्ट्र मण्डल तथा मित्र राष्ट्रों के विचार-विमर्श में प्रभावपूर्ण ढंग से भाग लें, जो भारत की स्वाधीनता के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

कांग्रेस द्वारा क्रिप्स प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिए जाने के निम्न कारण थे

(i) क्रिप्स प्रस्तावों में अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की माँग को स्वीकार किया गया था।

(ii) भारत की सुरक्षा के प्रश्न पर कांग्रेस क्रिप्स प्रस्ताव से सहमत नहीं थी।

कांग्रेस के द्वारा संपूर्ण भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की माँग की जा रही थी। लेकिन क्रिप्स प्रस्तावों में औपनिवेशिक स्वराज की ही बात कही गई थी और वास्तव में औपनिवेशिक स्वराज के लिए भी कोई तिथि निश्चित नहीं की गई थी, इसी कारण महात्मा गाँधी द्वारा इन प्रस्तावों को 'दिवालिया बैंक' के नाम 'भविष्य की तिथि में भुनने वाला चेक' कहा गया था।

मुस्लिम लीग के द्वारा क्रिप्स प्रस्तावों में पाकिस्तान के निर्माण की स्पष्ट व्यवस्था न होने के कारण इन प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया गया।



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