भारत का उपराष्ट्रपति | Indian Polity Exam Notes

 भारत का उपराष्ट्रपति  

            संविधान के अनुच्छेद-63 में उपराष्ट्रपति पद की व्यवस्था की गई है, जो आवश्यकता पड़ने पर अंतरिम काल के लिए राष्ट्रपति का कार्यभार संभाल सकता है। हमारे देश में जो राजनीतिक व्यवस्था है, उसमें उपराष्ट्रपति का पद एक अनोखी व्यवस्था के रूप में स्थापित है, क्योंकि अन्य संसदीय पद्धति वाले देशों में उपराष्ट्रपति जैसा कोई पद नहीं है। यहाँ तक कि, भारतीय संघ के राज्यों में भी उपराज्यपाल का पद नहीं है। हमारे यहाँ उपराष्ट्रपति के पद को अमेरिका के संविधान से ग्रहण किया गया है। उपराष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक अर्हताएँ वही निर्धारित की गई हैं, जो कि राष्ट्रपति के लिए हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव भी अप्रत्यक्ष, आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।

    अर्हता

    उपराष्ट्रपति बनने के लिए राज्य सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के लिए योग्यताएँ पूरी करनी चाहिए। राष्ट्रपति के लिए किसी व्यक्ति को लोक सभा का सदस्य बनने के लिए निर्धरित अर्हताएँ प्राप्त करनी चाहिए। उपराष्ट्रपति का निर्वाचन लोक सभा व राज्य सभा के सभी मनोनीत सदस्य भी लेते हैं। इसमें राज्यों की विधान सभा के सदस्य भाग नहीं लेते।

    कार्यकाल

                उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष़ों का है, उसे राज्य सभा के तत्कालीन सदस्यों की बहुमत के प्रस्ताव से पद से हटाया जा सकता है, जिससे लोक सभा सहमत हो। वह इस कार्यकाल से पहले अपने पद से त्यागपत्र दे सकता है। उपराष्ट्रपति को पुनर्निर्वाचित होने की शक्ति संविधान से प्राप्त है। वर्ष-1957 में डॉ0 राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति पद के लिए दोबारा निर्वाचित हुए थे। इसके बाद हामिद अंसारी को दोबारा उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित किया गया।

    उपराष्ट्रपति के कार्य

              संविधान में उपराष्ट्रपति के किसी भी कार्य का उल्लेख नहीं है। वह राज्य सभा का पदेन सभापति होता है तथा उसे राज्य सभा के पदेन सभापति के रूप में वेतन एवं भत्ते भी प्राप्त होते हैं, उपराष्ट्रपति के रूप में नहीं। उपराष्ट्रपति निम्नलिखित परिस्थितियों में राष्ट्रपति के पद पर कार्य कर सकता है-

    (i)       राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाने पर। (अनुच्छेद-65(1))

    (ii)       राष्ट्रपति के त्यागपत्र दे देने पर।

    (iii)      महाभियोग या अन्य किसी प्रकार से राष्ट्रपति के हटाए जाने पर।

    (iv)      अन्य किसी कारण से उत्पन्न असमर्थता की स्थिति में जैसे बीमारी या अनुपस्थिति।

                संविधान में यह उल्लेखित नहीं है, कि राष्ट्रपति किस प्रकार अपने कार्य करने में समर्थ नहीं होगा। परंतु डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की वर्ष-1960 में सोवियत संघ की 15 दिनों की यात्रा के दौरान उनका कार्य उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन के द्वारा संपादित किया गया था। राष्ट्रपति यह निर्धारित कर सकता है, कि कब वह अपने कार्य़ों को करने में असमर्थ है, किस समय वह पुनः अपने कार्य संपादित करना चाहता है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के पद रिक्त होने के बाद राष्ट्रपति के कार्य़ों का संपादन भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के द्वारा किया जाएगा। वर्ष-1969 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन की मृत्यु हो गयी और उपराष्ट्रपति बी.बी. गिरी राष्ट्रपति के कार्य़ों का निर्वहन कर रहे थे, परंतु नए राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने के लिए उन्होंने उपराष्ट्रपति के पद से त्यागपत्र दे दिया। परिणाम स्वरूप उच्चतम न्यायालय तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश हिदायतुल्ला के द्वारा राष्ट्रपति के कार्य़ों का संपादन किया गया।

    उपराष्ट्रपति की शक्तियाँ एवं कार्य

    (i)  राज्य सभा का सभापति-

                उपराष्ट्रपति, राज्य सभा का सदस्य नहीं होता है, किंतु उसका पदेन सभापति होता है। पदेन सदस्य होने के कारण उसे सदन में मतदान का अधिकार प्राप्त नहीं है, परंतु किसी विषय पर पक्ष एवं विपक्ष में बराबर मत हो, तो उपराष्ट्रपति निर्णायक मत देने का अधिकार रखता है। वह सदन में पूछे जाने वाले प्रश्नों का निर्धारण करता है। वह सदन के सदस्यों के विशेषाधिकारों की भी रक्षा करता है। अनुच्छेद-97 के अंतर्गत् उपराष्ट्रपति को वेतन भी राज्य सभा के सभापति के रूप में मिलता है, न कि उपराष्ट्रपति के रूप में।

    (ii) सामाजिक समारोह का प्रतिनिधित्व-

                सामाजिक समारोहों पर उपराष्ट्रपति, राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है। वह समय-समय पर होने वाले शैक्षणिक और सामाजिक उत्सवों में उपस्थित होता है।

                जब उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है, तो उसे वे समस्त शक्तियाँ और सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, जो राष्ट्रपति को प्राप्त हैं, लेकिन इस समय उपराष्ट्रपति, राज्य सभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करता है और न ही सभापति का वेतन प्राप्त करता है। इस स्थिति में उपराष्ट्रपति के कार्य राज्य सभा के उपसभापति द्वारा संपन्न किए जाते हैं। उपराष्ट्रपति केवल राष्ट्रपति के चुनाव होने तक ही राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालता है। नए राष्ट्रपति का चुनाव छः माह के अंदर हो जाना चाहिए।



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