वेवेल योजना (Wavell Plan) | आधुनिक भारत का इतिहास

 वेवेल योजना (Wavell Plan) 

अक्टूबर, 1943 में लॉर्ड लिनलिथगो (Lord Linlithgow) के स्थान पर लॉर्ड वेवेल भारत के गवर्नर जनरल बनकर आए। उन्होंने 14 जून, 1945 में भारतीय समस्या के समाधान के लिए नवीन योजना प्रस्तुत की, जो वेवेल योजना के नाम से प्रसिद्ध है। वेवेल योजना की मुख्य शर्तें निम्नलिखित थीं

(i) ब्रिटिश सरकार भारत के राजनीतिक गतिरोध को दूर कर उसे स्वशासन की ओर अग्रसर करना चाहती है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद् का पुनर्गठन किया जाएगा, जिसमें गवर्नर जनरल और प्रधान सेनापति को छोड़कर अन्य सभी सदस्य भारत के राजनीतिक नेता होंगे।

(ii) गवर्नर जनरल की परिषद् में हिन्दू और मुसलमानों के बराबर सदस्य होंगे।

(iii) गवर्नर जनरल की यह पुनर्गठित परिषद् एक प्रकार की अंतरिम राष्ट्रीय सरकार के समान होगी और गवर्नर जनरल निषेधाधिकार का प्रयोग अकारण नहीं करेगा।

(iv) दूसरे अधिराज्यों के समान ही भारत में भी ब्रिटेन के व्यापारिक और अन्य हितों की देखभाल के लिए 'ब्रिटिश हाई कमिश्नर' की नियुक्ति की जाएगी।

(v) द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद स्वयं भारतीयों द्वारा अपने लिए भारतीय संविधान का निर्माण किया जाएगा।

(vi) भारतीय नेताओं द्वारा इस योजना को स्वीकार किए जाने पर प्रांतों  में सामान्य संवैधानिक सरकारों की पुनः स्थापना की जाएगी।

  यह घोषणा की गई, कि उपर्युक्त प्रस्तावों पर विचार के लिए शीघ ही शिमला में एक सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

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