संविधान सभा ने संविधान के निर्माण से संबंधित विभिन्न कार्यों को करने के लिए कई समितियों का गठन किया। इनमें से 8 बड़ी समितियां थीं तथा अन्य छोटी। इन समितियों तथा इनके अध्यक्षों के नाम इस प्रकार है-
बड़ी समितियां
1. संघ शक्ति समिति - जवाहरलाल नेहरू।
2. संघीय संविधान समिति - जवाहरलाल नेहरू।
3. प्रांतीय संविधान समिति - सरदार पटेल।
4. प्रारूप समिति - डॉ. बी.आर. अम्बेडकर।
5. मौलिक अधिकारों एवं अल्पसंख्यकों संबंधी परामर्श समिति - सरदार पटेल।
इस समिति की दो उप समितियां थी-
a. मौलिक अधिकार उप समिति - जे.बी. कृपलानी।
b. अल्पसंख्यक उप समिति - एच.सी. मुखर्जी।
6. प्रक्रिया नियम समिति - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद।
7. राज्यों के लिये समिति (राज्यों से समझौता करने वाली) - जवाहर लाल नेहरू।
छोटी समितियां -
1. संविधान सभा के कार्यें संबंधी समिति - जी.वी मावलंकर।
2. कार्य संचालन समिति - डॉ. के.एम. मुंशी।
3. सदन समिति - बी. पट्टाभिसीतारमैय्या।
4. राष्ट्र ध्वज संबंधी तदर्थ समिति - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद।
5. प्रारूप संविधान का परीक्षण करने वाली समिति - अल्लादी कृष्ण स्वायी अय्यर।
6. क्रीडेंस्यिल समिति - सर अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर।
7. वित्त एवं स्टाफ समिति - ए.एन. सिन्हा।
8. हिन्दी अनुवाद समिति।
9. उर्दू अनुवाद समिति।
10. प्रेस दीर्घा समिति।
11. भारतीय संविधान अधिनियम, 1947 के प्रभाव का आकलन करने वाली समिति।
12. मुख्य आयुक्तों के प्रांतों से संबंधित समिति।
13. भाषायी प्रांतों संबंधी आयोग।
14. वित्तीय प्रावधानों संबंधी विशेषज्ञ समिति।
15. सर्वोच्च न्यायालय संबंधी तदर्थ समिति।
प्रारूप समिति -
संविधान सभा की सभी समितियों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण थी प्रारूप समिति। इसका गठन 29 अगस्त, 1947 को हुआ था। यह वह समिति थी जिसे नए संविधान का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसमें सात सदस्य थे, जिनके नाम इस प्रकार है -
1. डॉ. बी.आर. अंबेडकर (अध्यक्ष)
2. एन. गोपालस्वामी आयंगर।
3. अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर।
4. डॉक्टर के.एम. मुंशी।
5. सैयद मोहम्मद सादुल्ला।
6. एन. माधव राव
7. टी.टी. कृष्णामाचारी।
विभिन्न समितियों के प्रस्तावों पर विचार करने के बाद प्रारूप समिति ने भारत के संविधान का पहला प्रारूप तैयार किया। इसे फरवरी 1948 में प्रकाशित किया गया। भारत के लोगों को इस प्रारूप पर चर्चा करने और संशोधनों का प्रस्ताव देने के लिए 8 माह का समय दिया गया। लोगों की शिकायतों, आलोचनाओं और सुझावों के परिप्रेक्ष्य में प्रारूप समिति ने दूसरा प्रारूप तैयार किया, जिसे अक्टूबर, 1948 में प्रकाशित किया गया। प्रारूप समिति ने अपना प्रारूप तैयार करने मे छह माह से भी कम का समय लिया। इस दौरान उसकी कुल 141 बैठकें हुईं।